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संत अवध बिहारी देवकृष्ण महाविद्यालय, पथराहा, मधेपुरा का संक्षिप्त इतिहास।

Our Founder
Kirti Narayan Mandal
बृहत कोशी क्षेत्र के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से भरे पड़े सूफी संत दौरम शाह मुस्तकीम के नाम पर दौरम मधेपुरा के दौरमा डीह के सटे पथराहा में कोशी क्षेत्र के मनहरा ग्राम में जन्मे,शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने वाले,जिन्हें आम लोग संत कबीर,मदन मोहन मालवीय,दधिची के जैसे हड्डी तक दान देनेवाले महापुरुष कीर्ति नारायण मंडल जिन्होंने तीन दर्जन से अधिक महाविधालय की स्थापना की,के द्वारा 1981 ई. में इंटर स्तरीय महाविधालय,संत अवध बिहारी देवकृष्णा महाविधालय,पथराहा,मधेपुरा की स्थापना की | यह क्षेत्र श्रृंगी ऋषि के नाम पर सिंहेश्वर स्थान में अवस्थित भगवान शंकर के प्रभाव से प्रकाशित होता रहा है | राष्ट्रीय मार्ग 106 पर अवस्थित महाविधालय कई ऐतिहासिक क्षण का गवाह रहा है |
यह महाविधालय इस जिला का सबसे पुराना इंटर स्तरीय महाविधालय है जिसके छात्र बड़े-बड़े पदों को सुशोभित किया | इस महाविधालय में विद्वान एवं अनुभवी शिक्षक,व्यहवार कुशल शिक्षकेतर कर्मचारी एवं इसके सकारात्मक सोच से परिपूर्ण शासी निकाय/ प्रबंध समिति के सदस्यगण के बदौलत महाविधालय सदा शिक्षा के क्षेत्र में अग्रनीय है | इस महाविधालय में कला विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय में कुल 20 विषयों की पढाई होती है | महाविधालय के पास सुसज्जित खेल का मैदान, सुसज्जित प्रयोगशाला,समृद्ध पुस्तकालय,अवागमन की सुविधा,छात्र -छात्राओं के लिए कॉमन रूम आदि उपलब्ध है | महाविधालय में छात्रों की सुविधा के लिए कई प्रकार की समितियाँ उपलब्ध है,जो छात्र-छात्राओं के लिए हमेशा तत्पर रहता है.महाविधालय का मूलमंत्र स्तरीय शिक्षा प्रदान करना और कुशल एवं समृद्ध छात्र तैयार करना है |